Breaking
March 29, 2024

नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त किये गए कर्मचारीयों की बर्खास्तगी आदेश के खिलाफ दायर 71 से अधिक कर्मचारियों की याचिकाओं पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद न्यायमुर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने सुनवाई करते हुए विधान सभा सचिवालय के आदेश दिनांक 26 ,27 ,28 सितम्बर के बर्खास्तगी पर अग्रिम आदेश तक रोक लगा दी है। विधान सभा सचिवालय व सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ये कर्मचारी अपने पदों पर कार्य करते रहगें। सचिवालय चाहे तो रेगुलर नियुक्ति की प्रक्रिया चालू कर सकती है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ये कर्मचारी भविष्य में होने वाली नियुक्ति प्रक्रिया को बाधित नहीं करेंगे और कार्य ग्रहण करने से पहले शपथपत्र पेस करेंगे। अपनी बर्खास्तगी के आदेश को मीनाक्षी शर्मा व 71 अन्य ने चुनोती दी है।

उत्तराखंड : सुप्रीम कोर्ट पहुंचा शिक्षक भर्ती का मामला, SLP की दाखिल

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश थपलियाल ने कोर्ट को अवगत कराया कि विधान सभा अध्यक्ष के द्वारा लोकहित को देखते हुए उनकी सेवाएं 26, 27, 28 सितम्बर को समाप्त कर दी। बर्खास्तगी आदेश मे उन्हें किस आधार पर किस कारण की वजह से हटाया गया कहीं इसका उल्लेख नही किया गया न ही उन्हें सुना गया । जबकि उनके द्वारा सचिवालय में नियमित कर्मचारियों की भांति कार्य किया जा रहा था। परन्तु उनको किस आधार पर बर्खास्त किया गया। बर्खास्तगी के आदेश में नही लिखा है।

याचिका में कहा गया है कि 2014 तक हुई तदर्थ रूप से नियुक्त कर्मचारियों को चार वर्ष से कम की सेवा में नियमित नियुक्ति दे दी गई। जबकि नियमानुसार छः माह की नियमित सेवा करने के बाद उन्हें नियमित किया जाना था। विधान सभा सचिववालय का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता विजय भट्ट द्वारा कहा गया कि इनकी नियुक्ति बैकडोर के माध्यम से हुई है और इन्हें काम चलाऊ व्यवस्था के आधार पर रखा गया था उसी के आधार पर इन्हें हटा दिया गया। ये इन कर्मचारियों की नियुक्ति 2021 में हुई है।

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *