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March 29, 2024

पहाड़ समाचार 

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देवभूमि की बेटी अंकिता की BJP नेता के बेटे और उसके दोस्तों ने निर्मम हत्या कर दी थी। हत्या के बाद से ही लगातार सवाल उठ रहे हैं कि अंकिता के हत्यारों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। भले ही सरकार कई दावे करे, लेकिन हाईकोर्ट के सामने जांच के लिए गठित SIT ने जो तथ्य दिए हैं, उन पर अब कोर्ट ने ही सवाल खड़े कर दिए हैं। कोर्ट में अंकिता मर्डर केस को भटकाने के लिए क्राउड फंडिंग जैसे मामले में याचिकाकर्ता को फंसाने की चाल चली जा रही है।

रिजॉर्ट के जिस कमरे में अंकिता रहती थी। उसे BJP विधायक के निर्देश पर बुलडोजर से तुड़वा दिया गया था। तब सरकार और पुलिस ने कहा था कि यह सरकार का कड़ा एक्शन है। लेकिन, जब सवाल उठे तो सरकार और पुलिस ने हाथ पीछे खींच लिए। तब भी यही सवाल उठे थे कि आखिर क्राइम सीन को कैसे ध्वस्त किया जा सकता है, जबकि पौड़ी के डीएम पहले उस जगह को सील करने के आदेश दे चुके थे।

Ankita Murder Case : कल आएगी अंकिता के पोस्टमार्टम पूरी रिपोर्ट, अंतिम संस्कार रोका!

सरकार ने अब डीएम को भी पौड़ी से हटा दिया है। पौड़ी DM ने तब साफ कर दिया था कि उनकी ओर से रिजॉर्ट तोड़ने का कोई निर्देश नहीं दिया गया था और ना सरकार ने उनको कोई आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने भी SIT से यही सवाल पूछे हैं कि आखिर उस कमरे को क्यों तोड़ा गया? क्या एसआईटी ने वहां से कोई फॉरेंसिक जांच कर सबूत जुटाए हैं? SIT ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया है, सवाल यह है कि आखिर क्यों और किसके कहने पर?

SIT ने बताया कि अंकिता के कमरे को बुलडोजर से क्षतिग्रस्त करने से पहले उसके कमरे की फोटोग्राफी कराई गई थी। कमरा पूरी तरह से साफ था। वहां सिर्फ एक बैग ही मिला था। लेकिन क्या कमरे में किसी की अंगुलियों या खून के निशान ढूंढने से जुड़ी फॉरेंसिक जांच की गई? इस पर कोर्ट को कुछ नहीं बताया गया। कोर्ट एसआईटी के जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ। याचिकाकर्ता आशुतोष नेगी ने कोर्ट में कहा कि पुलिस और एसआईटी मामले के महत्वपूर्ण सबूतों को छिपा रहे हैं।

और तो और अंकिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक सार्वजनिक नहीं की गई है। शव बरामद होने के दिन ही उसके परिजनों की गैरमौजूदगी के बगैर उसी दिन शाम को अंकिता का कमरा बुलडोजर चालकर तोड़ दिया गया था। पुलिस ने बिना किसी महिला अधिकारी की उपस्थिति में अंकिता के शव का पोस्टमार्टम कराया, तो पूरी तरह से सुप्रीमकोर्ट के आदेशों के खिलाफ है।


याचिकाकर्ता का आरोप है कि जिस दिन अंकिता की हत्या हुई थी, उस दिन छह बजे इस मामले का मुख्य आरोपी पुलकित आर्य अंकिता के कमरे में मौजूद था और अंकिता रो रही थी। याचिका में यह भी कहा गया है कि अंकिता के साथ दुराचार हुआ है, जिसे पुलिस नहीं मान रही है। इसलिए केस की जांच CBI से कराई जाए। बुलडोजर किसके कहने पर आया यह भी नहीं पतारू अंकिता के कमरे को तोड़ने के लिए बुलडोजर किसके कहने पर आया? उन्होंने बुलडोजर एक्शन पर सवाल खड़े किए हैं।

याचिकाकर्ता आशुतोष नेगी को क्राउड फंडिंग के मामले में घेरने की कोशिश है। दरअसल, अंकिता की हत्या के बाद जागो उत्तराखंड अभियान चलाकर चंदा इकट्ठा किया गया। जिसमें, करीब 49 हजार रुपये एकत्र किए गए। इस तरह क्राउड फंडिंग करने के मामले को गलत मानते हुए याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी चल रही है। हालांकि याचिकाकर्ता का कहना है कि जिस खाते में यह रकम आई है, उसकी तफ्तीश जांच एजेंसी कर सकती है।

अंकिता मर्डर केस में पुलकित आर्य के वनंतरा रिजॉर्ट पर बुलडोजर एक्शन पर सामाजिक-महिला संगठनों ने कई सवाल खड़ किए थे। यही नहीं, पूर्व सीएम हरीश रावत सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने बुलडोजर एक्शन को गलत ठहराया था। कहा था कि आखिर इतनी भी जल्द क्या थी कि रिजॉर्ट पर रातोंरात बुलडोजर चलवा दिया गया।

न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 नवंबर की तिथि नियत की है। हाईकोर्ट में अंकिता हत्याकांड मामले की जांच सीबीआई से कराए जाने को लेकर याचिका दायर की गई है। सुनवाई के दौरान पीठ ने मृतक के माता-पिता को याचिका में पक्षकार बनाते हुए पूछा कि आपको एसआईटी की जांच पर क्यों संदेह हो रहा है? इस पर जवाब शपथ पत्र के माध्यम से प्रस्तुत करें। अंकिता की मां सोनी देवी और पिता बीरेंद्र सिंह भंडारी ने अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए याचिका दायर कर मामले की CBI जांच की मांग की है।

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